Friday 30 June 2017

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शायरी 
कौन कहता है मैं मर जाऊंगा
मैं तो दरिया हूँ समुन्दर में उतर जाऊंगा
तुम तरस जाओगी प्यार की एक बून्द के लिए
में तो बदल हूँ कही भी बरष जाऊंगा
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सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के वसूलो से
खुशबू आ नहीं सकती कागज के फूलो से 
फिर मेरा मानना है 
सच्चाई छुप सकती है अगर आपस में मेल है
और खुशबू आ सकती है अगर कागज में तेल है
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मरना है तो मरो वतन के लिए 
क्या मरते तो दुल्हन के लिए 
मर जाओगे एक दिन हसीनो की गली में 
तड़पोगे कफ़न के लिए 
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माली फूल तोड़ता है कांटे बचा बचा कर 
अशोक आँख मरता है लड़की पटा पटा कर  
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सच्ची मित्र 
किताबो की भाषा पहचानो 
कहना तुम सब उनका मानो 
बढ़कर उनसे हाथ मिला लो 
इनको अपना मित्र बना लो 
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हमने तुम्हे अपना समझ कलेजा चिर दिखा दिखा दिया 
तुम्हारी नियत ही कुछ और निकली खंजर चला दिया 
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Monday 29 May 2017

कुछ प्रचलित लोकोक्तियाँ । [Some Popular Proverbs.]

कुछ प्रचलित लोकोक्तियाँ  [Some Popular Proverbs.]

1. अधजल गगरी छलकत जाए-(कम गुण वाला व्यक्ति दिखावा बहुत करता है) - श्याम बातें तो ऐसी करता है जैसे:- हर विषय में मास्टर होवास्तव में उसे किसी विषय का भी पूरा ज्ञान नहीं-अधजल गगरी छलकत जाए।
2. अब पछताए होत क्याजब चिड़ियाँ चुग गई खेत-(समय निकल जाने पर पछताने से क्या लाभ) जैसे:- सारा साल तुमने पुस्तकें खोलकर नहीं देखीं। अब पछताए होत क्याजब चिड़ियाँ चुग गई खेत।
3. आम के आम गुठलियों के दाम-(दुगुना लाभ) जैसे:- हिन्दी पढ़ने से एक तो आप नई भाषा सीखकर नौकरी पर पदोन्नति कर सकते हैंदूसरे हिन्दी के उच्च साहित्य का रसास्वादन कर सकते हैंइसे कहते हैं-आम के आम गुठलियों के दाम।
4ऊँची दुकान फीका पकवान-(केवल ऊपरी दिखावा करना) जैसे:- कनॉटप्लेस के अनेक स्टोर बड़े प्रसिद्ध हैपर सब घटिया दर्जे का माल बेचते हैं। सच हैऊँची दुकान फीका पकवान।
5. घर का भेदी लंका ढाए-(आपसी फूट के कारण भेद खोलना) जैसे:-कई व्यक्ति पहले कांग्रेस में थेअब जनता (एस) पार्टी में मिलकर काग्रेंस की बुराई करते हैं। सच हैघर का भेदी लंका ढाए।
6. जिसकी लाठी उसकी भैंस-(शक्तिशाली की विजय होती है) जैसे:- अंग्रेजों ने सेना के बल पर बंगाल पर अधिकार कर लिया था-जिसकी लाठी उसकी भैंस।
7. जल में रहकर मगर से वैर-(किसी के आश्रय में रहकर उससे शत्रुता मोल लेना) जैसे:- जो भारत में रहकर विदेशों का गुणगान करते हैंउनके लिए वही कहावत है कि जल में रहकर मगर से वैर।
8. थोथा चना बाजे घना-(जिसमें सत नहीं होता वह दिखावा करता है) जैसे: गजेंद्र ने अभी दसवीं की परीक्षा पास की हैऔर आलोचना अपने बड़े-बड़े गुरुजनों की करता है। थोथा चना बाजे घना।
9. दूध का दूध पानी का पानी-(सच और झूठ का ठीक फैसला) जैसे:- सरपंच ने दूध का दूध,पानी का पानी कर दिखायाअसली दोषी मंगू को ही दंड मिला।
10. दूर के ढोल सुहावने-(जो चीजें दूर से अच्छी लगती हों) जैसे:- उनके मसूरी वाले बंगले की बहुत प्रशंसा सुनते थे किन्तु वहाँ दुर्गंध के मारे तंग आकर हमारे मुख से निकल ही गया-दूर के ढोल सुहावने।
11. न रहेगा बाँसन बजेगी बाँसुरी-(कारण के नष्ट होने पर कार्य न होना) जैसे:- सारा दिन लड़के आमों के लिए पत्थर मारते रहते थे। हमने आँगन में से आम का वृक्ष की कटवा दिया। न रहेगा बाँसन बजेगी बाँसुरी।
12. नाच न जाने आँगन टेढ़ा-(काम करना नहीं आना और बहाने बनाना) जैसे:-जब रवींद्र ने कहा कि कोई गीत सुनाइएतो सुनील बोला, ‘आज समय नहीं है। फिर किसी दिन कहा तो कहने लगा, ‘आज मूड नहीं है। सच हैनाच न जाने आँगन टेढ़ा।
13. बिन माँगे मोती मिलेमाँगे मिले न भीख-(माँगे बिना अच्छी वस्तु की प्राप्ति हो जाती हैमाँगने पर साधारण भी नहीं मिलती) जैसे:- अध्यापकों ने माँगों के लिए हड़ताल कर दीपर उन्हें क्या मिला ? इनसे तो बैक कर्मचारी अच्छे रहेउनका भत्ता बढ़ा दिया गया। बिन माँगे मोती मिलेमाँगे मिले न भीख।
14. मान न मान मैं तेरा मेहमान-(जबरदस्ती किसी का मेहमान बनना) जैसे:-एक अमेरिकन कहने लगामैं एक मास आपके पास रहकर आपके रहन-सहन का अध्ययन करूँगा। मैंने मन में कहाअजब आदमी हैमान न मान मैं तेरा मेहमान।
15. मन चंगा तो कठौती में गंगा-(यदि मन पवित्र है तो घर ही तीर्थ है) जैसे:-भैया रामेश्वरम जाकर क्या करोगे ? घर पर ही ईशस्तुति करो। मन चंगा तो कठौती में गंगा।
16. दोनों हाथों में लड्डू-(दोनों ओर लाभ) जैसे:- महेंद्र को इधर उच्च पद मिल रहा था और उधर अमेरिका से वजीफा उसके तो दोनों हाथों में लड्डू थे।
17. नया नौ दिन पुराना सौ दिन-(नई वस्तुओं का विश्वास नहीं होतापुरानी वस्तु टिकाऊ होती है) जैसे:- अब भारतीय जनता का यह विश्वास है कि इस सरकार से तो पहली सरकार फिर भी अच्छी थी। नया नौ दिनपुराना नौ दिन।
18. बगल में छुरी मुँह में राम-राम-(भीतर से शत्रुता और ऊपर से मीठी बातें) जैसे:- साम्राज्यवादी आज भी कुछ राष्ट्रों को उन्नति की आशा दिलाकर उन्हें अपने अधीन रखना चाहते हैंपरन्तु अब सभी देश समझ गए हैं कि उनकी बगल में छुरी और मुँह में राम-राम है।
19. लातों के भूत बातों से नहीं मानते-(शरारती समझाने से वश में नहीं आते) जैसे:- सलीम बड़ा शरारती हैपर उसके अब्बा उसे प्यार से समझाना चाहते हैं। किन्तु वे नहीं जानते कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते।
20. सहज पके जो मीठा होय-(धीरे-धीरे किए जाने वाला कार्य स्थायी फलदायक होता है) जैसे:- विनोबा भावे का विचार था कि भूमि सुधार धीरे-धीरे और शांतिपूर्वक लाना चाहिए क्योंकि सहज पके सो मीठा होय।
21. साँप मरे लाठी न टूटे-(हानि भी न हो और काम भी बन जाए) जैसे:- घनश्याम को उसकी दुष्टता का ऐसा मजा चखाओ कि बदनामी भी न हो और उसे दंड भी मिल जाए। बस यही समझो कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
22. अंत भला सो भला-(जिसका परिणाम अच्छा हैवह सर्वोत्तम है) जैसे:- श्याम पढ़ने में कमजोर थालेकिन परीक्षा का समय आते-आते पूरी तैयारी कर ली और परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसी को कहते हैं अंत भला सो भला।
23. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए-(बहुत कंजूस होना) जैसे:-महेंद्रपाल अपने बेटे को अच्छे कपड़े तक भी सिलवाकर नहीं देता। उसका तो यही सिद्धान्त है कि चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए।
24. सौ सुनार की एक लुहार की-(निर्बल की सैकड़ों चोटों की सबल एक ही चोट से मुकाबला कर देते है) जैसे:- कौरवों ने भीम को बहुत तंग किया तो वह कौरवों को गदा से पीटने लगा-सौ सुनार की एक लुहार की।
25. सावन हरे न भादों सूखे-(सदैव एक-सी स्थिति में रहना) जैसे:- गत चार वर्षों में हमारे वेतन व भत्ते में एक सौ रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है। उधर 25 प्रतिशत दाम बढ़ गए हैं-भैया हमारी तो यही स्थिति रही है कि सावन हरे न भागों सूखे।


Friday 19 May 2017

निबंध [ESSAY WRITING]

निबंध  [ESSAY WRITING]
निबंध एक ऐसी विधा है, जिसमे लेखक अपने भावो और विचारो को अपने विशिस्ट भाषा शैली मैं ऐसे क्रमबद्ध एवं सुसंगधित रूप मैं प्रस्तुत करता है कि उनका कलात्मक सौंदर्य पाठको को अभिभूत कर दे 

निबंध लिखते समय निम्नलिखित बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए
1 निबंध के विषय का चुनाव करते समय ध्यान रखे कि उस विषय मैं आपकी अच्छी जानकारी हो आपके पास लेखन सामग्री हो
2  निबंध लिखते समय अपनी व्यक्तिगत भाषा सैली का ही उपयोग करना चाहिए रटे  हुए निबंध मैं ना तो कलात्मकता आ पाती है और ना ही  आप अपने विचारो को प्रकट कर पते है
3  निबंध लिखते समय उसे तीन हिस्सों मैं बाँट लेना चाहिए
आरम्भ यानि प्रस्तावना
मध्य यानी विषय वास्तु
अंत यानि उपसंहार

निबंध का आरम्भ रोचक होना चाहिए निबंध का आरम्भ निबंध के शीर्षक अथवा अपनी बात से या फिर विषय  प्रवर्तन से अथवा किसी वर्णन से किया जा सकता है
विषय वास्तु या निबंध के मध्य भाग मैं निबंध के केंद्र का विस्तार होता है आपके भाव अथवा चिंतन लालित्यपूर्ण ढंग से प्रकट किए जाने चाहिए आप विचारो को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत करने के साथ साथ कल्पना और कवित्य का भी सहारा ले सकते है अंत अथवा उपसंहार में विषय का विश्लेषण करते हुए  अथवा आरम्भ से जोड़ते हुए निबंध का अंत किया जा सकता है
4  निबंध कि भाषा शैली सरल होनी चाहिए
5  भाषागत सौंदर्य का सदैव ध्यान रखना चाहिए
6  भाषा मैं टुटापन ना होकर प्रवाहमयता होनी चाहिए
7  निबंध लिखते समय निबंध के विषय को सदैव ध्यान में रखना चाहिए  ताकि आप विषय के दायरे से ना हटे
अच्छा निबंध कैसे लिखे
1 निरंतर अभ्यास से निबंध लिखने में कुशलता प्राप्त कि जा सकती है
2  सुप्रसिद्ध निबंधकारों क निबंध पढ़ने चाहिए
3  अपनी भाषा के अनुरूप ही तत्सम अवं तद्भव शब्दो का उपयोग करना चाहिए  मुहावरे आदि के उपयोग निबंध को सुंदरता प्रदान करते है
4  निबंध लिखते समय निबंध को तीन भागो - अदि मध्य एवं अंत में बाँट कर रूपरेखा तैयार करने के पश्चात निबंध लिखना चाहिए

5  ऐसे वर्णो से बचना चाहिए जो निबंध के दायरे में न आते हो

अपठित बोध (गद्यांशों / काव्यांशों ) Unseen Passage

अपठित बोध (गद्यांशों / काव्यांशों ) Unseen Passage

पूर्वकाल में न पढ़े गए गद्यांशों / काव्यांशों को पढ़कर सम्बंधित प्रश्नो के सटीक उत्तर देना ही अपठित बोध कहलाता है
ध्यान रखने योग्य बाते
1. दिए गए  अपठित गद्यांश / काव्यांशों को दो - तीन बार ध्यान पूर्वक पढ़े ताकि समझ में आ जाये कि उनका केंद्रीय भाव क्या है
2. पूछे गए प्रश्नो के उत्तर देते समय ध्यान रखे कि उसकी भाषा सरल व व्यावहारिक होनी चाहिए इसके लिए प्रश्नो को एक एक करके पढ़ना चाहिए उनके प्रश्नो को गद्यांश में रेखांकित कर लेना चाहिए रेखांकित करने के पश्चात उन्हें अत्यंत सरल भाषा में लिखना चाहिए
3. पूछे गए प्रश्नो के उत्तर सटीक एवं संछिप्त होने चाहिए उनमे कहावतों जनश्रुतियों अवं उद्धरणों आदि का उल्लेख नहीं करना चाहिए

4. पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखते समय ये ध्यान अवश्य रखे कि उनके उत्तर गद्यांश काव्यांश में से ही हो

Thursday 27 October 2016

अलंकार alankar

अलंकार - काव्य की शोभा बढाने वाले शब्दों को अलंकार कहते हैं।
जिस प्रकार नारी के सौंदर्य को बढाने के लिए आभूषण होते हैं,उसी प्रकार काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तथा उसके शब्दों एवं अर्थों की सुन्दरता में वृद्धि करके चमत्कार उत्पन्न करने वाले कारकों को अलंकार कहते हैं।
अलंकार के मुख्यतः दो भेद माने जाते हैं

1-शब्दालंकार

2-अर्थालंकार

1-शब्दालंकार (Shabdalankar)

क)    अनुप्रास अलंकार(Anupras) (Alliteration) 
ख)   यमक अलंकार(Yamak) (Homonym) 
ग)    श्लेष अलंकार(Shlesh) (Pun)

2-अर्थालंकार (Arthalankar) 

क)    उपमा अलंकार (Upma) (Simile) 
ख)   रूपक अलंकार(Rupak) (Metaphor) 
ग)    उत्प्रेक्षा अलंकार(Atishyokti) (Hyperbole) 
घ)    उपमेयोपमा अलंकार
ङ)    अतिशयोक्ति अलंकार(Atishyokti) (Hyperbole) 
च)    उल्लेख अलंकार
छ)    विरोधाभास अलंकार
ज)    दृष्टान्त अलंकार
झ)    विभावना अलंकार
ञ)    भ्रान्तिमान अलंकार
ट)     सन्देह अलंकार
ठ)     व्यतिरेक अलंकार
ड)     असंगति अलंकार
ढ)     प्रतीप अलंकार
ण)    अर्थान्तरन्यास अलंकार
त)     मानवीकरण अलंकार
थ)    वक्रोक्ति अलंकार

द)     अन्योक्ति अलंकार

Wednesday 5 October 2016

मुहावरे और लोकोक्तियाँ idioms and proverbs

मुहावरे और लोकोक्तियाँ  [Idioms and Proverbs.]

मुहावरा - कोई भी ऐसा वाक्यांश जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को व्यक्त करे उसे मुहावरा कहते हैं।
लोकोक्ति - लोकोक्तियाँ लोक-अनुभव से बनती हैं। किसी समाज ने जो कुछ अपने लंबे अनुभव से सीखा है उसे एक वाक्य में बाँध दिया है। ऐसे वाक्यों को ही लोकोक्ति कहते हैं। इसे कहावतजनश्रुति आदि भी कहते हैं।
मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर - मुहावरा वाक्यांश है और इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकता। लोकोक्ति संपूर्ण वाक्य है और इसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है। जैसे-होश उड़ जाना’ मुहावरा है। ‘बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी’ लोकोक्ति है।

कुछ प्रचलित मुहावरे  
अंग संबंधी मुहावरे
1. अंग छूटा - (कसम खाना) मैं अंग छूकर कहता हूँ साहबमैने पाजेब नहीं देखी।
2. 
अंग-अंग मुसकाना -(बहुत प्रसन्न होना)- आज उसका अंग-अंग मुसकरा रहा था।
3. 
अंग-अंग टूटना -(सारे बदन में दर्द होना)-इस ज्वर ने तो मेरा अंग-अंग तोड़कर रख दिया।
4. 
अंग-अंग ढीला होना -(बहुत थक जाना)- तुम्हारे साथ कल चलूँगा। आज तो मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है।
अक्ल-संबंधी मुहावरे
1. अक्ल का दुश्मन -(मूर्ख)- वह तो निरा अक्ल का दुश्मन निकला।
2. 
अक्ल चकराना -(कुछ समझ में न आना)-प्रश्न-पत्र देखते ही मेरी अक्ल चकरा गई।
3. 
अक्ल के पीछे लठ लिए फिरना (समझाने पर भी न मानना)- तुम तो सदैव अक्ल के पीछे लठ लिए फिरते हो।
4. 
अक्ल के घोड़े दौड़ाना -(तरह-तरह के विचार करना)- बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने अक्ल के घोड़े दौड़ाएतब कहीं वे अणुबम बना सके।
आँख-संबंधी मुहावरे
1. आँख दिखाना-(गुस्से से देखना)- जो हमें आँख दिखाएगाहम उसकी आँखें फोड़ देगें।
2. 
आँखों में गिरना -(सम्मानरहित होना)- कुरसी की होड़ ने जनता सरकार को जनता की आँखों में गिरा दिया।
3. 
आँखों में धूल झोंकना -(धोखा देना)- शिवाजी मुगल पहरेदारों की आँखों में धूल झोंककर बंदीगृह से बाहर निकल गए।
4. 
आँख चुराना -(छिपना)- आजकल वह मुझसे आँखें चुराता फिरता है।
5. 
आँख मारना -(इशारा करना)-गवाह मेरे भाई का मित्र निकलाउसने उसे आँख मारीअन्यथा वह मेरे विरुद्ध गवाही दे देता।
6. 
आँख तरसना -(देखने के लालायित होना)- तुम्हें देखने के लिए तो मेरी आँखें तरस गई।
7. 
आँख फेर लेना -(प्रतिकूल होना)- उसने आजकल मेरी ओर से आँखें फेर ली हैं।
8. 
आँख बिछाना-(प्रतीक्षा करना)- लोकनायक जयप्रकाश नारायण जिधर जाते थे उधर ही जनता उनके लिए आँखें बिछाए खड़ी होती थी।
9. 
आँखें सेंकना -(सुंदर वस्तु को देखते रहना)- आँख सेंकते रहोगे या कुछ करोगे भी
10. 
आँखें चार होना -(प्रेम होना,आमना-सामना होना)- आँखें चार होते ही वह खिड़की पर से हट गई।
11. 
आँखों का तारा -(अतिप्रिय)-आशीष अपनी माँ की आँखों का तारा है।
12. 
आँख उठाना -(देखने का साहस करना)- अब वह कभी भी मेरे सामने आँख नहीं उठा सकेगा।
13. 
आँख खुलना -(होश आना)- जब संबंधियों ने उसकी सारी संपत्ति हड़प ली तब उसकी आँखें खुलीं।
14. 
आँख लगना -(नींद आना अथवा व्यार होना)- बड़ी मुश्किल से अब उसकी आँख लगी है। आजकल आँख लगते देर नहीं होती।
15. 
आँखों पर परदा पड़ना -(लोभ के कारण सचाई न दीखना)- जो दूसरों को ठगा करते हैंउनकी आँखों पर परदा पड़ा हुआ है। इसका फल उन्हें अवश्य मिलेगा।
16. 
आँखों का काटा -(अप्रिय व्यक्ति)- अपनी कुप्रवृत्तियों के कारण राजन पिताजी की आँखों का काँटा बन गया।
17. 
आँखों में समाना -(दिल में बस जाना)- गिरधर मीरा की आँखों में समा गया।
कलेजा-संबंधी कुछ मुहावरे
1. कलेजे पर हाथ रखना -(अपने दिल से पूछना)- अपने कलेजे पर हाथ रखकर कहो कि क्या तुमने पैन नहीं तोड़ा।
2. 
कलेजा जलना -(तीव्र असंतोष होना)- उसकी बातें सुनकर मेरा कलेजा जल उठा।
3. 
कलेजा ठंडा होना -(संतोष हो जाना)- डाकुओं को पकड़ा हुआ देखकर गाँव वालों का कलेजा ठंढा हो गया।
4. 
कलेजा थामना -(जी कड़ा करना)- अपने एकमात्र युवा पुत्र की मृत्यु पर माता-पिता कलेजा थामकर रह गए।
5. 
कलेजे पर पत्थर रखना -(दुख में भी धीरज रखना)- उस बेचारे की क्या कहते होंउसने तो कलेजे पर पत्थर रख लिया है।
6. 
कलेजे पर साँप लोटना -(ईर्ष्या से जलना)- श्रीराम के राज्याभिषेक का समाचार सुनकर दासी मंथरा के कलेजे पर साँप लोटने लगा।
कान-संबंधी कुछ मुहावरे
1. कान भरना - (चुगली करना)- अपने साथियों के विरुद्ध अध्यापक के कान भरने वाले विद्यार्थी अच्छे नहीं होते।
2. 
कान कतरना -(बहुत चतुर होना)- वह तो अभी से बड़े-बड़ों के कान कतरता है।
3. 
कान का कच्चा -(सुनते ही किसी बात पर विश्वास करना)- जो मालिक कान के कच्चे होते हैं वे भले कर्मचारियों पर भी विश्वास नहीं करते।
4. 
कान पर जूँ तक न रेंगना -(कुछ असर न होना)-माँ ने गौरव को बहुत समझायाकिन्तु उसके कान पर जूँ तक नहीं रेंगी।
5. 
कानोंकान खबर न होना -(बिलकुल पता न चलना)-सोने के ये बिस्कुट ले जाओकिसी को कानोंकान खबर न हो।
नाक-संबंधी कुछ मुहावरे
1. नाक में दम करना -(बहुत तंग करना)- आतंकवादियों ने सरकार की नाक में दम कर रखा है।
2. 
नाक रखना -(मान रखना)- सच पूछो तो उसने सच कहकर मेरी नाक रख ली।
3. 
नाक रगड़ना -(दीनता दिखाना)-गिरहकट ने सिपाही के सामने खूब नाक रगड़ीपर उसने उसे छोड़ा नहीं।
4. 
नाक पर मक्खी न बैठने देना -(अपने पर आँच न आने देना)-कितनी ही मुसीबतें उठाईपर उसने नाक पर मक्खी न बैठने दी।
5. 
नाक कटना -(प्रतिष्ठा नष्ट होना)- अरे भैया आजकल की औलाद तो खानदान की नाक काटकर रख देती है।
मुँह-संबंधी कुछ मुहावरे
1. मुँह की खाना -(हार मानना)-पड़ोसी के घर के मामले में दखल देकर हरद्वारी को मुँह की खानी पड़ी।
2. 
मुँह में पानी भर आना -(दिल ललचाना)- लड्डुओं का नाम सुनते ही पंडितजी के मुँह में पानी भर आया।
3. 
मुँह खून लगना -(रिश्वत लेने की आदत पड़ जाना)- उसके मुँह खून लगा हैबिना लिए वह काम नहीं करेगा।
4. 
मुँह छिपाना -(लज्जित होना)- मुँह छिपाने से काम नहीं बनेगाकुछ करके भी दिखाओ।
5. 
मुँह रखना -(मान रखना)-मैं तुम्हारा मुँह रखने के लिए ही प्रमोद के पास गया थाअन्यथा मुझे क्या आवश्यकता थी।
6. 
मुँहतोड़ जवाब देना -(कड़ा उत्तर देना)- श्याम मुँहतोड़ जवाब सुनकर फिर कुछ नहीं बोला।
7. 
मुँह पर कालिख पोतना -(कलंक लगाना)-बेटा तुम्हारे कुकर्मों ने मेरे मुँह पर कालिख पोत दी है।
8. 
मुँह उतरना -(उदास होना)-आज तुम्हारा मुँह क्यों उतरा हुआ है।
9. 
मुँह ताकना -(दूसरे पर आश्रित होना)-अब गेहूँ के लिए हमें अमेरिका का मुँह नहीं ताकना पड़ेगा।
10. 
मुँह बंद करना -(चुप कर देना)-आजकल रिश्वत ने बड़े-बड़े अफसरों का मुँह बंद कर रखा है।
दाँत-संबंधी मुहावरे
1. दाँत पीसना -(बहुत ज्यादा गुस्सा करना)- भला मुझ पर दाँत क्यों पीसते होशीशा तो शंकर ने तोड़ा है।
2. 
दाँत खट्टे करना -(बुरी तरह हराना)- भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के दाँत खट्टे कर दिए।
3. 
दाँत काटी रोटी -(घनिष्ठतापक्की मित्रता)- कभी राम और श्याम में दाँत काटी रोटी थी पर आज एक-दूसरे के जानी दुश्मन है।
 गरदन-संबंधी मुहावरे
1. गरदन झुकाना -(लज्जित होना)- मेरा सामना होते ही उसकी गरदन झुक गई।
2. 
गरदन पर सवार होना -(पीछे पड़ना)- मेरी गरदन पर सवार होने से तुम्हारा काम नहीं बनने वाला है।
3. 
गरदन पर छुरी फेरना -(अत्याचार करना)-उस बेचारे की गरदन पर छुरी फेरते तुम्हें शरम नहीं आतीभगवान इसके लिए तुम्हें कभी क्षमा नहीं करेंगे।
गले -संबंधी मुहावरे
1. गला घोंटना -(अत्याचार करना)- जो सरकार गरीबों का गला घोंटती है वह देर तक नहीं टिक सकती।
2. 
गला फँसाना -(बंधन में पड़ना)- दूसरों के मामले में गला फँसाने से कुछ हाथ नहीं आएगा।
3. 
गले मढ़ना -(जबरदस्ती किसी को कोई काम सौंपना)- इस बुद्धू को मेरे गले मढ़कर लालाजी ने तो मुझे तंग कर डाला है।
4. 
गले का हार -(बहुत प्यारा)- तुम तो उसके गले का हार होभला वह तुम्हारे काम को क्यों मना करने लगा।
सिर-संबंधी मुहावरे
1. सिर पर भूत सवार होना -(धुन लगाना)-तुम्हारे सिर पर तो हर समय भूत सवार रहता है।
2. 
सिर पर मौत खेलना -(मृत्यु समीप होना)- विभीषण ने रावण को संबोधित करते हुए कहा, ‘भैया ! मुझे क्या डरा रहे हो ? तुम्हारे सिर पर तो मौत खेल रही है
3. 
सिर पर खून सवार होना -(मरने-मारने को तैयार होना)- अरेबदमाश की क्या बात करते हो ? उसके सिर पर तो हर समय खून सवार रहता है।
4. 
सिर-धड़ की बाजी लगाना -(प्राणों की भी परवाह न करना)- भारतीय वीर देश की रक्षा के लिए सिर-धड़ की बाजी लगा देते हैं।
5. 
सिर नीचा करना -(लजा जाना)-मुझे देखते ही उसने सिर नीचा कर लिया।
हाथ-संबंधी मुहावरे
1. हाथ खाली होना -(रुपया-पैसा न होना)- जुआ खेलने के कारण राजा नल का हाथ खाली हो गया था।
2. 
हाथ खींचना -(साथ न देना)-मुसीबत के समय नकली मित्र हाथ खींच लेते हैं।
3. 
हाथ पे हाथ धरकर बैठना -(निकम्मा होना)- उद्यमी कभी भी हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठते हैंवे तो कुछ करके ही दिखाते हैं।
4. 
हाथों के तोते उड़ना -(दुख से हैरान होना)- भाई के निधन का समाचार पाते ही उसके हाथों के तोते उड़ गए।
5. 
हाथोंहाथ -(बहुत जल्दी)-यह काम हाथोंहाथ हो जाना चाहिए।
6. 
हाथ मलते रह जाना -(पछताना)- जो बिना सोचे-समझे काम शुरू करते है वे अंत में हाथ मलते रह जाते हैं।
7. 
हाथ साफ करना -(चुरा लेना)- ओह ! किसी ने मेरी जेब पर हाथ साफ कर दिया।
8. 
हाथ-पाँव मारना -(प्रयास करना)- हाथ-पाँव मारने वाला व्यक्ति अंत में अवश्य सफलता प्राप्त करता है।
9. 
हाथ डालना -(शुरू करना)- किसी भी काम में हाथ डालने से पूर्व उसके अच्छे या बुरे फल पर विचार कर लेना चाहिए।
हवा-संबंधी मुहावरे
1. हवा लगना -(असर पड़ना)-आजकल भारतीयों को भी पश्चिम की हवा लग चुकी है।
2
हवा से बातें करना -(बहुत तेज दौड़ना)- राणा प्रताप ने ज्यों ही लगाम हिलाईचेतक हवा से बातें करने लगा।
3
हवाई किले बनाना -(झूठी कल्पनाएँ करना)- हवाई किले ही बनाते रहोगे या कुछ करोगे भी ?
4. 
हवा हो जाना -(गायब हो जाना)- देखते-ही-देखते मेरी साइकिल न जाने कहाँ हवा हो गई ?
 पानी-संबंधी मुहावरे
1. पानी-पानी होना -(लज्जित होना)-ज्योंही सोहन ने माताजी के पर्स में हाथ डाला कि ऊपर से माताजी आ गई। बसउन्हें देखते ही वह पानी-पानी हो गया।
2. 
पानी में आग लगाना -(शांति भंग कर देना)-तुमने तो सदा पानी में आग लगाने का ही काम किया है।
3. 
पानी फेर देना -(निराश कर देना)-उसने तो मेरी आशाओं पर पानी पेर दिया।
4. 
पानी भरना-(तुच्छ लगना)-तुमने तो जीवन-भर पानी ही भरा है।

कुछ मिले-जुले मुहावरे
1. अँगूठा दिखाना -(देने से साफ इनकार कर देना)-सेठ रामलाल ने धर्मशाला के लिए पाँच हजार रुपए दान देने को कहा थाकिन्तु जब मैनेजर उनसे मांगने गया तो उन्होंने अँगूठा दिखा दिया।
2. 
अगर-मगर करना -(टालमटोल करना)-अगर-मगर करने से अब काम चलने वाला नहीं है।बंधु !
3. 
अंगारे बरसाना -(अत्यंत गुस्से से देखना)-अभिमन्यु वध की सूचना पाते ही अर्जुन के नेत्र अंगारे बरसाने लगे।
4. 
आड़े हाथों लेना -(अच्छी तरह काबू करना)-श्रीकृष्ण ने कंस को आड़े हाथों लिया।
5. 
आकाश से बातें करना-(बहुत ऊँचा होना)-टी.वी.टावर तो आकाश से बाते करती है।
6. 
ईद का चाँद -(बहुत कम दीखना)-मित्र आजकल तो तुम ईद का चाँद हो गए होकहाँ रहते हो ?
7
उँगली पर नचाना-(वश में करना)-आजकल की औरतें अपने पतियों को उँगलियों पर नचाती हैं।
8. 
कलई खुलना -(रहस्य प्रकट हो जाना)-उसने तो तुम्हारी कलई खोलकर रख दी।
9. 
काम तमाम करना -(मार देना)- रानी लक्ष्मीबाई ने पीछा करने वाले दोनों अंग्रेजों का काम तमाम कर दिया।
10. 
कुत्ते की मौत करना -(बुरी तरह से मरना)-राष्ट्रद्रोही सदा कुत्ते की मौत मरते हैं।
11. 
कोल्हू का बैल -(निरंतर काम में लगे रहना)-कोल्हू का बैल बनकर भी लोग आज भरपेट भोजन नहीं पा सकते।
12. 
खाक छानना -(दर-दर भटकना)-खाक छानने से तो अच्छा है एक जगह जमकर काम करो।
13
गड़े मुरदे उखाड़ना -(पिछली बातों को याद करना)-गड़े मुरदे उखाड़ने से तो अच्छा है कि अब हम चुप हो जाएँ।
14. 
गुलछर्रे उड़ाना -(मौज करना)-आजकल तुम तो दूसरे के माल पर गुलछर्रे उड़ा रहे हो।
15. 
घास खोदना -(फुजूल समय बिताना)-सारी उम्र तुमने घास ही खोदी है।
16. 
चंपत होना -(भाग जाना)-चोर पुलिस को देखते ही चंपत हो गए।
17. 
चौकड़ी भरना -(छलाँगे लगाना)-हिरन चौकड़ी भरते हुए कहीं से कहीं जा पहुँचे।
18. 
छक्के छुडा़ना -(बुरी तरह पराजित करना)-पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी के छक्के छुड़ा दिए।
19. 
टका-सा जवाब देना -(कोरा उत्तर देना)-आशा थी कि कहीं वह मेरी जीविका का प्रबंध कर देगापर उसने तो देखते ही टका-सा जवाब दे दिया।
20. 
टोपी उछालना -(अपमानित करना)-मेरी टोपी उछालने से उसे क्या मिलेगा?
21. 
तलवे चाटने - (खुशामद करना)-तलवे चाटकर नौकरी करने से तो कहीं डूब मरना अच्छा है।
22. 
थाली का बैंगन -(अस्थिर विचार वाला)- जो लोग थाली के बैगन होते हैंवे किसी के सच्चे मित्र नहीं होते।
23
दाने-दाने को तरसना-(अत्यंत गरीब होना)-बचपन में मैं दाने-दाने को तरसता फिराआज ईश्वर की कृपा है।
24. 
दौड़-धूप करना-(कठोर श्रम करना)-आज के युग में दौड़-धूप करने से ही कुछ काम बन पाता है।
25. 
धज्जियाँ उड़ाना-(नष्ट-भ्रष्ट करना)-यदि कोई भी राष्ट्र हमारी स्वतंत्रता को हड़पना चाहेगा तो हम उसकी धज्जियाँ उड़ा देंगे।
26. 
नमक-मिर्च लगाना-(बढ़ा-चढ़ाकर कहना)-आजकल समाचारपत्र किसी भी बात को इस प्रकार नमक-मिर्च लगाकर लिखते हैं कि जनसाधारण उस पर विश्वास करने लग जाता है।
27. 
नौ-दो ग्यारह होना-(भाग जाना)- बिल्ली को देखते ही चूहे नौ-दो ग्यारह हो गए। 28. फूँक-फूँककर कदम रखना-(सोच-समझकर कदम बढ़ाना)-जवानी में फूँक-फूँककर कदम रखना चाहिए।
29. 
बाल-बाल बचना-(बड़ी कठिनाई से बचना)-गाड़ी की टक्कर होने पर मेरा मित्र बाल-बाल बच गया।
30. 
भाड़ झोंकना-(योंही समय बिताना)-दिल्ली में आकर भी तुमने तीस साल तक भाड़ ही झोंका है।
31. 
मक्खियाँ मारना-(निकम्मे रहकर समय बिताना)-यह समय मक्खियाँ मारने का नहीं हैघर का कुछ काम-काज ही कर लो।
32. 
माथा ठनकना-(संदेह होना)- सिंह के पंजों के निशान रेत पर देखते ही गीदड़ का माथा ठनक गया।
33. 
मिट्टी खराब करना-(बुरा हाल करना)-आजकल के नौजवानों ने बूढ़ों की मिट्टी खराब कर रखी है।
34. 
रंग उड़ाना-(घबरा जाना)-काले नाग को देखते ही मेरा रंग उड़ गया।
35
रफूचक्कर होना-(भाग जाना)-पुलिस को देखते ही बदमाश रफूचक्कर हो गए।
36. 
लोहे के चने चबाना-(बहुत कठिनाई से सामना करना)- मुगल सम्राट अकबर को राणाप्रताप के साथ टक्कर लेते समय लोहे के चने चबाने पड़े।
37. 
विष उगलना-(बुरा-भला कहना)-दुर्योधन को गांडीव धनुष का अपमान करते देख अर्जुन विष उगलने लगा।
38. 
श्रीगणेश करना-(शुरू करना)-आज बृहस्पतिवार हैनए वर्ष की पढाई का श्रीगणेश कर लो।
39
हजामत बनाना-(ठगना)-ये हिप्पी न जाने कितने भारतीयों की हजामत बना चुके हैं।
40. 
शैतान के कान कतरना-(बहुत चालाक होना)-तुम तो शैतान के भी कान कतरने वाले होबेचारे रामनाथ की तुम्हारे सामने बिसात ही क्या है ?
41. 
राई का पहाड़ बनाना-(छोटी-सी बात को बहुत बढ़ा देना)- तनिक-सी बात के लिए तुमने राई का पहाड़ बना दिया।