Monday, 29 May 2017

कुछ प्रचलित लोकोक्तियाँ । [Some Popular Proverbs.]

कुछ प्रचलित लोकोक्तियाँ  [Some Popular Proverbs.]

1. अधजल गगरी छलकत जाए-(कम गुण वाला व्यक्ति दिखावा बहुत करता है) - श्याम बातें तो ऐसी करता है जैसे:- हर विषय में मास्टर होवास्तव में उसे किसी विषय का भी पूरा ज्ञान नहीं-अधजल गगरी छलकत जाए।
2. अब पछताए होत क्याजब चिड़ियाँ चुग गई खेत-(समय निकल जाने पर पछताने से क्या लाभ) जैसे:- सारा साल तुमने पुस्तकें खोलकर नहीं देखीं। अब पछताए होत क्याजब चिड़ियाँ चुग गई खेत।
3. आम के आम गुठलियों के दाम-(दुगुना लाभ) जैसे:- हिन्दी पढ़ने से एक तो आप नई भाषा सीखकर नौकरी पर पदोन्नति कर सकते हैंदूसरे हिन्दी के उच्च साहित्य का रसास्वादन कर सकते हैंइसे कहते हैं-आम के आम गुठलियों के दाम।
4ऊँची दुकान फीका पकवान-(केवल ऊपरी दिखावा करना) जैसे:- कनॉटप्लेस के अनेक स्टोर बड़े प्रसिद्ध हैपर सब घटिया दर्जे का माल बेचते हैं। सच हैऊँची दुकान फीका पकवान।
5. घर का भेदी लंका ढाए-(आपसी फूट के कारण भेद खोलना) जैसे:-कई व्यक्ति पहले कांग्रेस में थेअब जनता (एस) पार्टी में मिलकर काग्रेंस की बुराई करते हैं। सच हैघर का भेदी लंका ढाए।
6. जिसकी लाठी उसकी भैंस-(शक्तिशाली की विजय होती है) जैसे:- अंग्रेजों ने सेना के बल पर बंगाल पर अधिकार कर लिया था-जिसकी लाठी उसकी भैंस।
7. जल में रहकर मगर से वैर-(किसी के आश्रय में रहकर उससे शत्रुता मोल लेना) जैसे:- जो भारत में रहकर विदेशों का गुणगान करते हैंउनके लिए वही कहावत है कि जल में रहकर मगर से वैर।
8. थोथा चना बाजे घना-(जिसमें सत नहीं होता वह दिखावा करता है) जैसे: गजेंद्र ने अभी दसवीं की परीक्षा पास की हैऔर आलोचना अपने बड़े-बड़े गुरुजनों की करता है। थोथा चना बाजे घना।
9. दूध का दूध पानी का पानी-(सच और झूठ का ठीक फैसला) जैसे:- सरपंच ने दूध का दूध,पानी का पानी कर दिखायाअसली दोषी मंगू को ही दंड मिला।
10. दूर के ढोल सुहावने-(जो चीजें दूर से अच्छी लगती हों) जैसे:- उनके मसूरी वाले बंगले की बहुत प्रशंसा सुनते थे किन्तु वहाँ दुर्गंध के मारे तंग आकर हमारे मुख से निकल ही गया-दूर के ढोल सुहावने।
11. न रहेगा बाँसन बजेगी बाँसुरी-(कारण के नष्ट होने पर कार्य न होना) जैसे:- सारा दिन लड़के आमों के लिए पत्थर मारते रहते थे। हमने आँगन में से आम का वृक्ष की कटवा दिया। न रहेगा बाँसन बजेगी बाँसुरी।
12. नाच न जाने आँगन टेढ़ा-(काम करना नहीं आना और बहाने बनाना) जैसे:-जब रवींद्र ने कहा कि कोई गीत सुनाइएतो सुनील बोला, ‘आज समय नहीं है। फिर किसी दिन कहा तो कहने लगा, ‘आज मूड नहीं है। सच हैनाच न जाने आँगन टेढ़ा।
13. बिन माँगे मोती मिलेमाँगे मिले न भीख-(माँगे बिना अच्छी वस्तु की प्राप्ति हो जाती हैमाँगने पर साधारण भी नहीं मिलती) जैसे:- अध्यापकों ने माँगों के लिए हड़ताल कर दीपर उन्हें क्या मिला ? इनसे तो बैक कर्मचारी अच्छे रहेउनका भत्ता बढ़ा दिया गया। बिन माँगे मोती मिलेमाँगे मिले न भीख।
14. मान न मान मैं तेरा मेहमान-(जबरदस्ती किसी का मेहमान बनना) जैसे:-एक अमेरिकन कहने लगामैं एक मास आपके पास रहकर आपके रहन-सहन का अध्ययन करूँगा। मैंने मन में कहाअजब आदमी हैमान न मान मैं तेरा मेहमान।
15. मन चंगा तो कठौती में गंगा-(यदि मन पवित्र है तो घर ही तीर्थ है) जैसे:-भैया रामेश्वरम जाकर क्या करोगे ? घर पर ही ईशस्तुति करो। मन चंगा तो कठौती में गंगा।
16. दोनों हाथों में लड्डू-(दोनों ओर लाभ) जैसे:- महेंद्र को इधर उच्च पद मिल रहा था और उधर अमेरिका से वजीफा उसके तो दोनों हाथों में लड्डू थे।
17. नया नौ दिन पुराना सौ दिन-(नई वस्तुओं का विश्वास नहीं होतापुरानी वस्तु टिकाऊ होती है) जैसे:- अब भारतीय जनता का यह विश्वास है कि इस सरकार से तो पहली सरकार फिर भी अच्छी थी। नया नौ दिनपुराना नौ दिन।
18. बगल में छुरी मुँह में राम-राम-(भीतर से शत्रुता और ऊपर से मीठी बातें) जैसे:- साम्राज्यवादी आज भी कुछ राष्ट्रों को उन्नति की आशा दिलाकर उन्हें अपने अधीन रखना चाहते हैंपरन्तु अब सभी देश समझ गए हैं कि उनकी बगल में छुरी और मुँह में राम-राम है।
19. लातों के भूत बातों से नहीं मानते-(शरारती समझाने से वश में नहीं आते) जैसे:- सलीम बड़ा शरारती हैपर उसके अब्बा उसे प्यार से समझाना चाहते हैं। किन्तु वे नहीं जानते कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते।
20. सहज पके जो मीठा होय-(धीरे-धीरे किए जाने वाला कार्य स्थायी फलदायक होता है) जैसे:- विनोबा भावे का विचार था कि भूमि सुधार धीरे-धीरे और शांतिपूर्वक लाना चाहिए क्योंकि सहज पके सो मीठा होय।
21. साँप मरे लाठी न टूटे-(हानि भी न हो और काम भी बन जाए) जैसे:- घनश्याम को उसकी दुष्टता का ऐसा मजा चखाओ कि बदनामी भी न हो और उसे दंड भी मिल जाए। बस यही समझो कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
22. अंत भला सो भला-(जिसका परिणाम अच्छा हैवह सर्वोत्तम है) जैसे:- श्याम पढ़ने में कमजोर थालेकिन परीक्षा का समय आते-आते पूरी तैयारी कर ली और परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसी को कहते हैं अंत भला सो भला।
23. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए-(बहुत कंजूस होना) जैसे:-महेंद्रपाल अपने बेटे को अच्छे कपड़े तक भी सिलवाकर नहीं देता। उसका तो यही सिद्धान्त है कि चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए।
24. सौ सुनार की एक लुहार की-(निर्बल की सैकड़ों चोटों की सबल एक ही चोट से मुकाबला कर देते है) जैसे:- कौरवों ने भीम को बहुत तंग किया तो वह कौरवों को गदा से पीटने लगा-सौ सुनार की एक लुहार की।
25. सावन हरे न भादों सूखे-(सदैव एक-सी स्थिति में रहना) जैसे:- गत चार वर्षों में हमारे वेतन व भत्ते में एक सौ रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है। उधर 25 प्रतिशत दाम बढ़ गए हैं-भैया हमारी तो यही स्थिति रही है कि सावन हरे न भागों सूखे।


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