अलंकार - काव्य की शोभा बढाने वाले शब्दों को
अलंकार कहते हैं।
जिस
प्रकार नारी के सौंदर्य को बढाने के लिए आभूषण होते हैं,उसी प्रकार काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तथा उसके शब्दों एवं अर्थों की सुन्दरता में वृद्धि करके
चमत्कार उत्पन्न करने वाले कारकों को अलंकार कहते हैं।
अलंकार के मुख्यतः दो भेद माने जाते हैं।
1-शब्दालंकार
2-अर्थालंकार
1-शब्दालंकार (Shabdalankar)
क)
अनुप्रास अलंकार(Anupras) (Alliteration)
ख)
यमक अलंकार(Yamak) (Homonym)
ग)
श्लेष अलंकार(Shlesh) (Pun)
2-अर्थालंकार (Arthalankar)
क)
उपमा अलंकार (Upma) (Simile)
ख)
रूपक अलंकार(Rupak) (Metaphor)
ग)
उत्प्रेक्षा अलंकार(Atishyokti) (Hyperbole)
घ)
उपमेयोपमा अलंकार
ङ)
अतिशयोक्ति अलंकार(Atishyokti) (Hyperbole)
च)
उल्लेख अलंकार
छ)
विरोधाभास अलंकार
ज)
दृष्टान्त अलंकार
झ)
विभावना अलंकार
ञ)
भ्रान्तिमान अलंकार
ट)
सन्देह अलंकार
ठ)
व्यतिरेक अलंकार
ड)
असंगति अलंकार
ढ)
प्रतीप अलंकार
ण)
अर्थान्तरन्यास
अलंकार
त)
मानवीकरण अलंकार
थ)
वक्रोक्ति अलंकार
द)
अन्योक्ति अलंकार
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