Wednesday, 5 October 2016

विस्मयादिबोधक अव्यय [interjection.]

विस्मयादिबोधक अव्यय

विस्मयादिबोधक अव्यय- जिन शब्दों में हर्षशोकविस्मयग्लानिघृणालज्जा आदि भाव प्रकट होते हैं वे विस्मयादिबोधक अव्यय कहलाते हैं। इन्हें द्योतक भी कहते हैं। जैसे-
1.अहा ! क्या मौसम है।
2.उफ ! कितनी गरमी पड़ रही है।
3. अरे ! आप आ गए ?
4.बाप रे बाप ! यह क्या कर डाला ?
5.छिः-छिः ! धिक्कार है तुम्हारे नाम को।
इनमें ‘अहा’, ‘उफ’, ‘अरे’, ‘बाप-रे-बाप’, ‘छिः-छिः’ शब्द आए हैं। ये सभी अनेक भावों को व्यक्त कर रहे हैं। अतः ये विस्मयादिबोधक अव्यय है। इन शब्दों के बाद विस्मयादिबोधक चिह्न (!) लगता है।
प्रकट होने वाले भाव के आधार पर इसके निम्नलिखित भेद हैं-
(1) हर्षबोधक- अहा ! धन्य !वाह-वाह !ओह ! वाह ! शाबाश !
(2) शोकबोधक- आह !हाय !हाय-हाय !हात्राहि-त्राहि !बाप रे !
(3) विस्मयादिबोधक- हैं !ऐं !ओहो !अरेवाह !
(4) तिरस्कारबोधक- छिः !हट !धिक्धत् !छिः छिः !चुप !
(5) स्वीकृतिबोधक- हाँ-हाँ !अच्छा !ठीक !जी हाँ !बहुत अच्छा !
(6) संबोधनबोधक- रे !री !अरे !अरी !ओ !अजी !हैलो !
(7) आशीर्वादबोधक- दीर्घायु हो!जीते रहो !

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