Wednesday, 5 October 2016

शब्द-विचार phonology

परिभाषा- एक या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द कहलाता है। जैसे- एक वर्ण से निर्मित शब्द-न (नहीं) व (और) अनेक वर्णों से निर्मित शब्द-कुत्ताशेर,कमलनयनप्रासादसर्वव्यापीपरमात्मा।
शब्द-भेद 
व्युत्पत्ति (बनावट) के आधार पर शब्द-भेद-
व्युत्पत्ति (बनावट) के आधार पर शब्द के निम्नलिखित तीन भेद हैं-
1. 
रूढ़
2. 
यौगिक
3. 
योगरूढ़
1. रूढ़
जो शब्द किन्हीं अन्य शब्दों के योग से न बने हों और किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हों तथा जिनके टुकड़ों का कोई अर्थ नहीं होतावे रूढ़ कहलाते हैं। जैसे-कलपर। इनमें कर का टुकड़े करने पर कुछ अर्थ नहीं हैं। अतः ये निरर्थक हैं।
2. यौगिक
जो शब्द कई सार्थक शब्दों के मेल से बने हों,वे यौगिक कहलाते हैं। जैसे-देवालय=देव+आलयराजपुरुष=राज+पुरुषहिमालय=हिम+आलयदेवदूत=देव+दूत आदि। ये सभी शब्द दो सार्थक शब्दों के मेल से बने हैं।
3. योगरूढ़
वे शब्दजो यौगिक तो हैंकिन्तु सामान्य अर्थ को न प्रकट कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैंयोगरूढ़ कहलाते हैं। जैसे-पंकजदशानन आदि। पंकज=पंक+ज (कीचड़ में उत्पन्न होने वाला) सामान्य अर्थ में प्रचलित न होकर कमल के अर्थ में रूढ़ हो गया है। अतः पंकज शब्द योगरूढ़ है। इसी प्रकार दश (दस) आनन (मुख) वाला रावण के अर्थ में प्रसिद्ध है।


उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के निम्नलिखित चार भेद हैं-

1. 
तत्सम- जो शब्द संस्कृत भाषा से हिन्दी में बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए हैं वे तत्सम कहलाते हैं। जैसे-अग्निक्षेत्रवायुरात्रिसूर्य आदि।
2. 
तद्भव- जो शब्द रूप बदलने के बाद संस्कृत से हिन्दी में आए हैं वे तद्भव कहलाते हैं। जैसे-आग (अग्नि)खेत(क्षेत्र)रात (रात्रि)सूरज (सूर्य) आदि।
3. 
देशज- जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं वे देशज कहलाते हैं। जैसे-पगड़ीगाड़ीथैलापेटखटखटाना आदि।
4. 
विदेशी या विदेशज- विदेशी जातियों के संपर्क से उनकी भाषा के बहुत से शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होने लगे हैं। ऐसे शब्द विदेशी अथवा विदेशज कहलाते हैं। जैसे-स्कूलअनारआमकैंची,अचारपुलिसटेलीफोनरिक्शा आदि। ऐसे कुछ विदेशी शब्दों की सूची नीचे दी जा रही है।
अंग्रेजी- कॉलेजपैंसिलरेडियोटेलीविजनडॉक्टरलैटरबक्सपैनटिकटमशीनसिगरेटसाइकिलबोतल आदि।
फारसी- अनार,चश्माजमींदारदुकानदरबारनमकनमूनाबीमारबरफरूमालआदमीचुगलखोरगंदगीचापलूसी आदि।
अरबी- औलादअमीरकत्लकलमकानूनखतफकीररिश्वतऔरतकैदीमालिकगरीब आदि।
तुर्की- कैंचीचाकूतोपबारूदलाशदारोगाबहादुर आदि।
पुर्तगाली- अचारआलपीनकारतूसगमलाचाबीतिजोरीतौलियाफीतासाबुनतंबाकूकॉफीकमीज आदि।
फ्रांसीसी- पुलिसकार्टूनइंजीनियरकर्फ्यूबिगुल आदि।
चीनी- तूफानलीचीचायपटाखा आदि।
यूनानी- टेलीफोनटेलीग्राफऐटमडेल्टा आदि।
जापानी- रिक्शा आदि।
प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद part of speech
प्रयोग के आधार पर शब्द के निम्नलिखित आठ भेद है-
There are eight part in part of speech
1. 
संज्ञा naun
2. 
सर्वनाम pronoun
3. 
विशेषण adjective
4. 
क्रिया verb
5. 
क्रिया-विशेषण adverb
6. 
संबंधबोधक  Preposition
7. 
समुच्चयबोधक Conjunction
8. 
विस्मयादिबोधक Interjection

इन उपर्युक्त आठ प्रकार के शब्दों को भी विकार की दृष्टि से दो भागों में बाँटा जा सकता है-
1. 
विकारी
2. 
अविकारी
1. विकारी शब्द
जिन शब्दों का रूप-परिवर्तन होता रहता है वे विकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-कुत्ताकुत्तेकुत्तोंमैं मुझे,हमें अच्छाअच्छे खाता हैखाती हैखाते हैं। इनमें संज्ञासर्वनामविशेषण और क्रिया विकारी शब्द हैं।
2. अविकारी शब्द
जिन शब्दों के रूप में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है वे अविकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-यहाँकिन्तुनित्यऔरहे अरे आदि। इनमें क्रिया-विशेषणसंबंधबोधकसमुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक आदि हैं।

अर्थ की दृष्टि से शब्द-भेद
अर्थ की दृष्टि से शब्द के दो भेद हैं-
1. 
सार्थक
2. 
निरर्थक
1. सार्थक शब्द
जिन शब्दों का कुछ-न-कुछ अर्थ हो वे शब्द सार्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे-रोटीपानीममताडंडा आदि।
2. निरर्थक शब्द

जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता है वे शब्द निरर्थक कहलाते हैं। जैसे-रोटी-वोटीपानी-वानीडंडा-वंडा इनमें वोटीवानीवंडा आदि निरर्थक शब्द हैं।
विशेष- निरर्थक शब्दों पर व्याकरण में कोई विचार नहीं किया जाता है।

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