Wednesday, 5 October 2016

तत्सम शब्द tatsam sabd(sanskrit words),तद्भव शब्द tadbhav sabd(words modifies from samskrit

तत्सम शब्द Tatsam Sabd (Sanskrit Words) ,

तद्भव शब्द Tadbhav Sabd (Words Modifies From Samskrit)


उत्पति(स्त्रोत) के आधार पर शब्द - भेद चार
1. तत्सम - पिता
2. तद्भव - पुत्र
3. देशज - लावारिस
विदेशी
संकर शब्द
यदि हम तत्सम को पिता माने तो तद्भव को पुत्र मान सकते हैं क्योंकि तत्समतद्भव के गुण रूप आदि एक दुसरे से पिता पुत्र कि तरह मिलते है। कुछ अपवाद भी होते है। लेकिन स्वभाविक रूप से यह माना जा सकता है कि दोनों में कुछ ना कुछ एक समान होगा।
उदाहरण
निम्न में से तत्सम तद्भव का सही जोड़ा नहीं है।
1.     उष्ट्र-ऊट
2.     श्रृंगार-सिंगार
3.     चक्षु-आंख
4.     दधि-दही
उत्तर चक्षु - आंख
यहां आप आसानी से देख सकते हैं कि केवल चक्षु-आंख के जोड़े में कोई समानता नहीं है शेष तीनों जोड़े एक दुसरे से मेल रखते है।
इसलिए सही उत्तर है चक्षु-आंख
यहां चक्षु का तद्भव है- चख और आंख का तत्समक है- अक्षि।
तत्सम शब्द:- संस्कृत भाषा के शब्द जिनका हिन्दी भाषा में प्रयोग करने पर रूप परिवर्तित नहीं होता वे तत्सम शब्द कहलाते हैं।
तथ्य:-
जैसे संस्कृत में बिल्कुल वैसे ही हिन्दी में होंगे।
संधी के प्रचलित नियमों में + से पहले व + के बाद आने वाले शब्द तत्सम कहलाते हैं।
संस्कृत के उपसगोें से बने शब्द सत्सम होते हैं।
विसर्ग(:) तथा अनुसार( ं ) मुख्य रूप से तत्सम शब्दों में पाया जाता है।
जैसे - उष्ट्रमहिषचक्रवातवातकिभुशुण्डीचन्द्रश्लाकाशकटहरिद्र।
तद्भव शब्द :- संस्कृत भाषा के शब्द जिनका हिन्दी भाषा में प्रयोग करने पर रूप बदल जाता है उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं।
जैसे - ऊँटभैंसचकवाबैंगनबन्दुकचाँदसलाईछकड़ाहल्दी।
तथ्य:-
1. संस्कृत वाले शब्दों से बनावट में मिलते-जुलते सरल शब्द तद्भव होते हैं।
2. हिन्दी के उपसर्गों से बने शब्द तद्भव होते है।
3. हिन्दी कि क्रियाऐं पढ़नालिखनाखाना आदि तद्भव होते हैं।
4. अंकों को शब्दों में लिखने पर एक को छोड़ कर सभी तद्भव होते हैं।
5. अर्धअनुस्वार ( ँ) अर्थात चरम बिन्दु मुख्य रूप से तद्भव शब्दों में पाया जाता है।
जैसे - चाँदहँसना।
अर्द्धतत्सम शब्द :- संस्कृत से वर्तमान स्थाई तद्भव रूप तक पहुंचने के मध्य संस्कृत के टुटे फुटे स्वरूप का जो प्रयोग किया जाता था उसे अर्द्ध तत्सम कहा जाता है।
जैसे -अगिन या अगि
यह अग्नि(तत्सम) व आग(तद्भव) के मध्य का स्वरूप है।
देशज शब्द :- वे शब्द जिनकी उत्पत्ति के स्त्रोत अज्ञात होते हैं। उन्हें देशज शब्द कहते हैं।
संस्कृतेतर(संस्कृत से अन्य) भारतीय भाषाओं के शब्द देशज होते हैं।
क्षेत्रीय बोलियों के शब्द तथा मनघड़ंत शब्द भी देशज होते हैं।
ध्वनि आदि के अनुकरण पर रचित क्रियाएं जिन्हें अनुक्रणात्मक क्रियाएं भी कहते हैं देशज कहलाती हैं।
जैसे - लड़काखिड़कीलोटाढ़म-ढ़मछपाक-छपाकभौंकना।
विदेशी शब्द
अरबीफारसीअंग्रजी या अन्य किसी भी दुसरे देश की भाषा के शब्द जिनका हिन्दी भाषा में प्रयोग कर लिया जाता है उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं।
जैसे -इरादाइशाराहलवाईदीदारचश्माडॉक्टरहॉस्पीटलइलाजबम।
संकर शब्द
किन्ही दो भाषाओं के शब्दों को मिलाकर जिन नये शब्दों कि रचना हुई है।उन्हें संकर शब्द कहा जाता है।
जैसे - डबलरोटी(अंग्रेजी + हिन्दी)नेकचलन(फारसी + हिन्दी)टिकटघर(अंग्रेजी + हिन्दी)।
परिवर्त के आधार पर शब्द
दो भेद
1.     विकारी
2.     अविकारी (अव्यय)
विकारी :- वे शब्द जिनमें लिंग वचन कारक आदि के कारण परिवर्तन होता उन्हें विकारी शब्द कहते हैं
इसके चार भेद हैं-
1. संज्ञा
2. सर्वनाम
3. विशेषण
4. क्रिया
अविकारी :- वे शब्द जिनमें लिंग वचन कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता उन्हें अव्यय या अविकारी शब्द कहते हैं इसके भी मुख्य रूप से चार भेद हैं-
1. क्रिया विशेषण
2. संबंध बोधक
3. समुच्चय बोधक
4. विस्मयादि बोधक


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