शायरी
कौन कहता है मैं मर जाऊंगा
मैं तो दरिया हूँ समुन्दर में उतर जाऊंगा
तुम तरस जाओगी प्यार की एक बून्द के लिए
में तो बदल हूँ कही भी बरष जाऊंगा
कौन कहता है मैं मर जाऊंगा
मैं तो दरिया हूँ समुन्दर में उतर जाऊंगा
तुम तरस जाओगी प्यार की एक बून्द के लिए
में तो बदल हूँ कही भी बरष जाऊंगा
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सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के वसूलो से
खुशबू आ नहीं सकती कागज के फूलो से
फिर मेरा मानना है
सच्चाई छुप सकती है अगर आपस में मेल है
और खुशबू आ सकती है अगर कागज में तेल है
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मरना है तो मरो वतन के लिए
क्या मरते तो दुल्हन के लिए
मर जाओगे एक दिन हसीनो की गली में
तड़पोगे कफ़न के लिए
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माली फूल तोड़ता है कांटे बचा बचा कर
अशोक आँख मरता है लड़की पटा पटा कर
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सच्ची मित्र
किताबो की भाषा पहचानो
कहना तुम सब उनका मानो
बढ़कर उनसे हाथ मिला लो
इनको अपना मित्र बना लो
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हमने तुम्हे अपना समझ कलेजा चिर दिखा दिखा दिया
तुम्हारी नियत ही कुछ और निकली खंजर चला दिया
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